एनटीडी  के उन्मूलन के प्रति विश्व की प्रतिबद्धता को दर्शाता है एनटीडी दिवस, 30 जनवरी को राज्य में मनाया गया पांचवां विश्व एनटीडी दिवस

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By Our Correspondent

RANCHI/BHUBANESWAR:  प्रत्येक वर्ष 30 जनवरी को पूरे विश्व में एनटीडी दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का अभिप्राय यह है कि विश्व के सारे लोग एनटीडी (नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीजेज़) के उन्मूलन के प्रति पूरी प्रतिबद्धता से जनांदोलन के रूप में कार्य करें।

इसी क्रम में राज्य में भी आज एनटीडी दिवस मनाया गया और लोगों को नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीजेज़ के बारे में जागरूक किया गया। वर्ष 2020 में विश्व को इन बीमारियों से सुरक्षित रखने के लिए पहली बार विश्व एनटीडी दिवस मनाया गया था।

राज्य के वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. बीरेंद्र कुमार ने बताया कि विश्व में  लगभग 1.7 अरब लोग कम से कम किसी 1 नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिज़ीज़ से प्रभावित क्षेत्र में रहते हैं। एनटीडी में लिम्फैटिक फाइलेरिया (हाथीपांव) विसेरल लीशमैनियासिस (कालाज़ार) , लेप्रोसी (कुष्ठरोग), डेंगू, चिकुनगुनिया, सर्पदंश, रेबीज़ जैसे 20 रोग शामिल होते हैं, जिनकी रोकथाम संभव है।

एनटीडी से ऐसी हज़ारों मृत्यु हो चुकी हैं, जिन्हें रोका जा सकता था। प्रभावित लोगों को असहनीय पीड़ा, विकृति, विकलांगता और सामजिक उपेक्षा का सामना करना पड़ता है।  कई बार ये शरीर को अक्षम बना देती हैं जिसके कारण पीड़ित व्यक्ति अपनी जीविका नहीं कमा पाता है और आर्थिक एवं सामजिक रूप से अत्यंत कष्ट उठाता है।  आंकड़े बताते हैं कि विश्व में लगभग हर 5 में से 1 व्यक्ति नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिज़ीज़ेज़ से प्रभावित क्षेत्र  में रहता है और 20 नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिज़ीज़ेज़ में भारत कई बीमारियों में पहले स्थान पर है।

डॉ. बीरेंद्र ने यह भी बताया कहा कि इन एनटीडी से लोगों को सुरक्षित रखने के लिए राज्य सरकार द्वारा सार्थक प्रयास किये जा रहें हैं। उदाहरण के तौर पर फ़ाइलेरिया या हाथीपांव एक गंभीर नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज है जोकि संक्रमित मच्छर के काटने से फैलता है। विश्व के 72 देश फ़ाइलेरिया से प्रभावित हैं और भारत उनमें से एक है। राज्य के सभी 24 जिले फाइलेरिया से प्रभावित हैं और फ़ाइलेरिया उन्मूलन के लिए इस रोग से प्रभावित क्षेत्रों में सुनियोजित रणनीति के साथ वर्ष में 2 बार मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम आयोजित किये जा रहें हैं जिसका प्रथम चरण आगामी 10 फरवरी से  झारखंड  के 14 फाइलेरिया प्रभावित जिलों मे शुरू की जा रही है।

बेहतर अंतर विभागीय समन्वय और  स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच दूर-दराज इलाकों तक सुनिश्चित कर राज्य को फाइलेरिया से जल्द ही मुक्त कराया जायेगा

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